रायबरेली। जिले की पुलिस ने चोरी की बैट्री के साथ आरोपी युवक को जेल भेजा तो उसकी मां बचाव में उतर आई। महिला ने पुलिस अधीक्षक अभिषेक अग्रवाल पर ही झूठे आरोप लगाकर इलाहाबाद हाईकोर्ट के लखनऊ खंडपीठ पहुंच गई। न्यायालय ने एसआईटी गठित करके जांच करने का निर्देश दिया है। वहीं चर्चा है कि एसपी की ईमानदारी और सख्त नीति के कारण अपराधी परेशान थे। उन्होंने ही महिला को आगे करके याचिका दाखिल करवाई है। वहीं पूरी घटना पर पुलिस के अधिकारी भी कुछ नहीं बोल रहे हैं।
जिले की खीरो थाने की पुलिस ने ३१ मार्च को चोरी के आरोप में युवक को पकड़कर जेल भेज दिया। जिसके बाद आरोपी की मां ने एसपी पर आरोप लगाए। कहा कि एसपी ने बेटे से टैक्सी मांगी थी। नहीं देने पर जेल भेजा। महिला ने न्यायालय में पत्र देकर बताया कि उसके बेटे से टैक्सी अक्तूबर २०२३ से मांगी जा रही थी। जबकि बड़ी बात यह है कि उस दौरान एसपी अभिषेक अग्रवाल रायबरेली में तैनात ही नहीं थे। सूत्र बताते हैं कि इलाके में कुछ माफिया आईपीएस अभिषेक अग्रवाल से नाराज चल रहे थे। जिससे उनके खिलाफ साजिश रच रहे थे। महिला को आगे करके पुलिस की छवि को धूमिल करने का प्रयास किया गया।
आरोपों पर उठने लगे सवाल, कार्रवाई की मांग
भारतीय किसान यूनियन के नेता पंकज सिंह ने बताया कि आईपीएस अभिषेक अग्रवाल की तैनाती प्रयागराज जनपद में भी थी। इस दौरान उनके काम सराहनीय रहे। एक आईपीएस के लिए टैक्सी कौन सी बड़ी बात है। जब अधिकारी के पास खुद लग्जरी गाडिय़ां सरकार से मिली हैं तो वह टैक्सी किसी से क्यों मांगेगा। इसके अलावा उन्होंने कहा कि महिला के आरोप पत्र में जिस तारीख का जिक्र है, उस समय अभिषेक अग्रवाल की रायबरेली में तैनाती भी नहीं थी। ऐसे में स्पष्ट है कि महिला किसी दुर्भावनावश ऐसा कर रही है। उसका बेटा चोरी के आरोप में पकड़ा गया है। सामान भी बरामद हुआ है। महिला का आरोप पुलिस की छवि धूमिल करने का प्रयास है।